Wednesday, 27 July 2016

🌼🌼🌼रामावतार‬🌼🌼🌼


बहुत पुरानी कथा है। श्रीहरि के जय- विजय नाम के दो द्वारपाल थे। वे सनकादि ब्रह्मर्षियों के शाप से घोर निशाचर कुल में पैदा हुए। उनके नाम रावण और कुभ्करण थे। उनके अत्याचारों से पृथ्वी कांप उठी। वह पाप के भार को सह ना सकी। अंत में वह सभी देवताओं के साथ भगवान की शरण में गयी। देवताओं का प्रार्थना से परब्रह्म परमात्मा ने अयोध्या के राज दशरथ की रानी कौसल्या के गर्भ से राम के रूप में अवतार लिया।
भगवान श्रीराम ने विश्वामित्र के यज्ञ में विघ्न डालने वाले सुबाहु आदि राक्षसों को मार डाला। वे सब बड़े-बड़े राक्षसों की गिनती में थे।
जनकपुर में सीताजी का स्वयंवर हो रहा था। वहां भगवान शंकर का विशाल धनुष रखा हुआ था। श्रीराम ने उस धनुष को तोड़कर सीता जी को प्राप्त कर लिया। राजा दशरथ की आज्ञा से श्रीराम का चौदह वर्ष का वनवास हुआ। भगवान ने पिता की आज्ञा लेकर माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले गए।
वन में पहुंचकर भगवान ने रावण की बहिन शूर्पणखा को कूरूप कर दिया। उसके पक्षपाती खर, दूषण, त्रिशिरा आदि भाइयों को श्रीराम ने नष्ट कर दिया।
शूर्पणखा की दशा देखकर रावण बहुत कोघ्रित हुआ। उसने भगवान से शत्रुता ठान ली। छल से सीता जी का हरण कर लिया। श्रीराम सीताजी के वियोग में बहुत दु:खी हुए। सीता जी की खोज में वन-वन भटकने लगे। भगवान ने सुग्रीव से मित्रता कर माता सीता की खोज आरंभ कर दी। त्तपश्चात हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए। वहां उन्हे माता सीता का पता चला। उन्होंने लंका दहन किया और लौटते समय माता सीता से चूणामणि लेकर भगवान राम को दिया। अंत में भगवान राम ने वानरों की सेना के साथ लंका पर चढ़ाई कर दी। विभीषण की सलाह से भगवान ने नील, सुग्रीव, हनुमान आदि वीरों की सेना के साथ लंका में प्रवेश किया। दोनों ओर की सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की। उसके बाद बाद भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटकर राम राज्य की स्थापना की।


|| श्री राम जय राम जय जय राम |

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