रामभक्त हनुमान जी
रामभक्त, बजरंगबली, पवन पुत्र, अंजनी पुत्र, ना जाने कितने नामों से पुकारा जाता है हनुमान जी को। हिन्दू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का ही अवतार माना गया है। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान शिव जी की तरह ही हनुमान जी के भी अनगिनत भक्त हैं। उन्हें मानने वालों की गणना करना असंभव है।
तीन युगों तक किया राज
ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान त्रेतायुग से लेकर आने वाले तीन युगों तक जीवित रहे हैं। यानि कि आज के कलयुग में भी वे जीवित हैं, लेकिन कहां हैं यह कोई नहीं जानता।
महाभारत युग में हनुमान जी
त्रेतायुग में श्रीराम के साथ और द्वापर युग में महाभारत के दौरान भीम से मिलना, यह दर्शाता है कि हनुमान जी दो युगों तक हमारे बीच रहे हैं। लेकिन ये वे महारथी हैं जो कलयुग में भी अपना स्थान बनाए हुए हैं।
आते हैं हनुमान जी
ऐसी मान्यता है कि समस्त संसार में जब-जब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरित मानस, रामायण, आदि का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी वहां जरूर मौजूद होते हैं।
देते हैं दर्शन
वे किसी ना किसी वेश में भक्तों के बीच उपस्थित होते हैं। लेकिन उन्हें पहचानने के लिए गहरी भक्ति भावना की आवश्यकता होती है। और जो उन्हें पहचान ले उसका जीवन हनुमान जी सफल बना देते हैं।
ज्योतिष में हनुमान जी का महत्व
लेकिन यदि हनुमान जी के दर्शन ना भी हों तो अन्य तरीके हैं जिनसे उनका आशीर्वाद पाया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में हनुमान जी को समर्पित ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करने का महत्व समझाया गया है।
हनुमान चालीसा का पाठ
कहा जाता है कि इस पाठ को रोजाना जो व्यक्ति करता है उस पर कभी शनिदेव की क्रूर दृष्टि नहीं होती। उसका साढ़ेसाती का समय भी आसानी से निकल जाता है। साथ ही पाठ में उल्लिखित चौपाइयां भक्त को मनचाही शक्तियां एवं बल प्रदान करती हैं।
हनुमान बाहुक का पाठ
आपने हनुमान चालीसा के बारे में तो बहुत सुना होगा। उसके महत्व एवं चमत्कारी असर के बारे में भी जाना होगा, समझा होगा और शायद महसूस भी किया होगा। लेकिन क्या कभी आपने हनुमान बाहुक के बारे में सुना है?
दूर होते हैं कष्ट
हनुमान जी को संकटमोचक कहा गया है और उनके हनुमान बाहुक पाठ का कुछ ऐसा ही असर है। इस पाठ को पढ़ने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
शारीरिक कष्टों को दूर करे
हनुमान बाहुक पाठ व्यक्ति के शारीरिक कष्टों को दूर करता है। इस पाठ की संरचना कैसे हुई और किसने पहली बार इसका जाप किया, इसके पीछे एक रोचक कहानी है।
संत तुलसीदास ने की थी रचना
कहा जाता है कि संत तुलसीदास जी एक बार काफी बीमार पड़ गए। वे श्रीराम एवं हनुमान जी के परम भक्त माने जाते हैं। उन्होंने ही हनुमान चालीसा लिखी थी। उस समय तुलसीदास काफी कष्ट में थे।
जब वे बीमार थे
उन्हें एक गहरी बीमारी ने जकड़ लिया था, शरीर में काफी पीड़ा भी हो रही थी। पीड़ा भरी आवाज में उन्होंने हनुमान नाम का जाप आरंभ कर दिया। अपने भक्त की पीड़ा देखते हुए हनुमान जी प्रकट हुए।
हनुमान बाहुक पाठ पढ़ा
तुलसीदास ने उनसे एक ऐसे श्लोक की प्रार्थना की जो उनके सभी शारीरिक कष्टों को हर ले। तब हनुमान जी ने उन्हें जो शब्द सुनाए, उनका तुलसीदास ने जाप किया और देखते ही देखते वे ठीक हो गए।
तुलसीदास हो गए ठीक
यह हनुमान बाहुक का पाठ ही था जिस कारण से तुलसीदास के सभी शारीरिक कष्ट खत्म हो गए। हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाले इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हनुमा बाहुक से मिलने वाले लाभ
ऐसा माना जाता है कि जिन्हें गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें।
पीड़ा हर लेते हैं हनुमान जी
हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही यदि जीवन में रुके हुए काम हैं या कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो रही, तब भी हनुमान बाहुक का पाठ करना लाभदायक सिद्ध होता है।
हर बाधा से मिलती है मुक्ति
हनुमान बाहुक का पाठ भक्त को भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से भी दूर रखता है। ऐसी किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति हनुमान बाहुक का पाठ करने वाले भक्त के आसपास भी नहीं आती है।
नकारात्मक शक्ति रहती है दूर
हनुमान बाहुक के पाठ से भक्त के आसपास एक रक्षा कवच बन जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसे छू भी नहीं सकती।
इस तरह से करें यह पाठ
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप कभी भी, कहीं भी यह पाठ कर सकते हैं। लेकिन यदि आप तुरंत फल पाना चाहते हैं तो इसके लिए एक शास्त्रीय तरीका मौजूद है।
रखें श्रीराम और हनुमान की तस्वीर
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए आप हनुमान जी की एक तस्वीर लें। साथ ही श्रीराम की तस्वीर को भी उसके साथ रखकर, सामने बैठ जाएं। इसके बाद दोनों तस्वीरों के सामने घी का दिया जलाएं और साथ में तांबे के गिलास में पानी भरकर भी रख दें।
मन से करें पाठ
इसके बाद ही पूरे मन से हनुमान बाहुक का पाठ करें। जैसे ही पाठ समाप्त हो तो तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीड़ित व्यक्ति को पिला दें या जिस किसी के हित के लिए भी यह पाठ किया गया हो उसे पिला दें।
पीड़ित को पिला दें पानी
पानी के साथ आप पूजा के दौरान हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। यह पवित्र तुलसी के पत्ते पूजा को अधिक सकारात्मक बनाते हैं। पाठ खत्म होने पर पीड़ित व्यक्ति को तुलसी के ये पत्ते भी खिला दें।
रोजाना कर सकते हैं ये पाठ
इस तरह से व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से दूर रहता है। केवल कष्ट होने पर ही नहीं, बल्कि रोजाना भी हनुमान बाहुक का पाठ करना फलदायी होता है।
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